14 उनको डोरा छिनालापन लक भरयो सेत। अना उनला कधीच नही मिटनवारा पाप करन लाय को भूक आहेत। वय कमजोर आतमा ला मोहित करतत। उनको मन ला लोभ को सिक्सा मिल्यो सेत। वय सराप को सन्तान सेत।
आपरो पोट को सेवा करनवारा, अना चिकनो-चिकनो साँग के सिदो-सादो मन को लोकगीन ला बहकानवारा, असो लोकगीन पिरभू यीसु मसीह को सेवा नही करा सेस, पर वय आपरो सेवा करसेस।
उनमा आमी भी पयले आपरो देह की मोह मा दिवस बितात होता, देह अना मन को मरजी ला पूरो करत होता, अना अखीन संसार को दुसरो लोकगीन को जसो बरताव लक परमेस्वर को गुस्सा की लेकरा होता।
एकोलाई हमी असो लेकराच न बनबिन जो हर कोनी असी नयी सिक्सा को हवा लक उछल जावबिन, जो आमरो रस्ता मा बव्हसे, लोकगीन को छल परन बेवहार लक, असी कपटता लक, जो ठगावन लक भरी योजना ला पेरीत करासे, इता-उता भटकाय दियो जावसे।
उन लोक हुन को लाई यो लगत बुरो से का उनना कैन को सो वाच रास्ता बेचयीसेस। न कमान को लाई उनना आपरो आपला वसोच गलतीको सुपुरुत कर देईस जसो बिलाम ना करयो होतो। एकोलाई वयच नास होय जाहेत जसो कोरह को बिरोध मा पराय लेवन वालो नास कर देयो गयो होतीन।