13 अना असो उनको पाप अना खोटो काम को सजा भोगनो पड़ेत। उनला दिवस अना दुपार मा आनंद लक बितावनो साजरो लगासेत। वय कलंकित अना दूसित सेत।
आमी दिवस को लक खरो चाल-चलबिन। आमी रगिलोपन नसा पानी गन्दोकाम, अना छिनालापन जलन अना देह को वासना झगड़ा-रगडा लक दुहुर रव्हबिन।
एने रीती उ कलीसिया ला एक असी नवती नौरी को उपमा मा खुदच को लाई पेस कर सकासे जोन बेडाग होय, बेझुर्रि होय असी अखिन कोनी कमी नही होय। बल्कि उ पवितर रव्हे अना हरदम बेकसूर होय।
उनको खातमा नास से, उनको पोट देवता से, वय आपरो बेसरमी को गोस्टी ला महिमा करासेत अना संसारिक चीजगीन पर मन लगाय रव्हसेती।
सिकन्दर कसार मोरो लक लगत बुराई करीसेस पिरभू वोला वोको काम गीन को जसो बदल देहे।
तुमी धरती पर भोग-विलास मा मन लगया रहोवो अना मोठो सुख भोगो तुमी न एना मरन को दिवस को लाई अपरो आतमा को पालन-पोसन करके वोको मोठो ताजो करीस।
अता तुमी वोना लोकगीन को बरोबर एसो आराम को दलदल मा डुंबू नका। मंग वोको लक अचरज होवासे का वय तुमरो निंदा-बदी करतात।
वय रस्ता सोडून बोसोर को टूरा बिलाम जसो वाटेवर फिरली सेत। बिलाम खोटो कमाई चाव्हत होतो।
वोको लक जसो ला तसाच को बरताव करो। वोको बुरो काम को बदला न मा देहला देव। अना जोन बटका तुमरो लाय तैय्यार करीसेस, तुमी ओको लाय दुई गुना तेज तैयार करो।