17 अदी परमेस्वर को इक्सा सेत। का तुमी नेकी करन को साठी दुख भोगो, तर वाईट काम करन को बद्दल, दुख सयनो चांगलो सेत।
मँग उ जरासो, पयले जायके, टोन्ड को बल पड़यो अना असो पिराथना करन लगयो। “ओ मोरो परमेस्वर बाबू, अदी भय सकासे ता या दुखको बटकी मोरो पुढा लक टल जाय, पर जसो मि चाव्हुसू, वसो नही, पर तु जसो चाव्हसेस वसोच तोरो मरजी ला पूरी कर।”
मंग उ दुसरो बेरा जायके ना असो, पिराथना करन लगयो। “हे परमेस्वर मोरो बाबूजी अदी यो बटकी, मोरो बिना पिये नही हट सकसे ता तोरो मरजी पूरी कर।”
अना उनको लक यो साग के बिदाई लेइस, “अदी परमेस्वर चाव्हसे ता मी तुमी लोकगीन को जवर मंग आहिन।” उ इफिसुस छोड़के जहाज मा समुंदर को रस्ता लक चली गयो।
जबा वोना नही मानीस। त हमि यो कहेकर उगो-मुगो भय गयो, का “पिरभू को इक्सा पूरी होय।”
अबा काही दिवस लाई कई पिरकार की परिक्सा गीन को लक तुमला दुखी होवनो जरूरी सेत। मर एको लाय तुम खुस होवो।
परमेस्वर असो चाव्हासेस का तुमी आपरो भलो काम करके बेअकल की गोस्टी बोलन वालो कम अक्कल मानूस गीन को टोन्ड बंद कर देवो।
अदी तुमीला खोटो काम करके सजा भेटा सेत। तो काजक फायदा सेत? पर तुमी साजरा काम करासो अना दुख भेटा सेत अना मार खावासेव ता परमेस्वर तुमिला आसिरवाद देवासेत।
अदी तुम्ही नीति मत साठी दुख भोगी सेव ता तुम्ही धन्य सेव। परंतु एना साठी घाबरू नका। अना भेव करू नका।
खुनी, चोर, कु करम करनवारा अना दुसरो को काम मा टेगड़ी अड़ावन वारा होयके तुमरो लक कोनी मानूस दुख नोको भोगे।
एकोलाय जोन लोक परमेस्वर को इक्सा अनुसार पीडित सेत। उ साजरो चांगल्या गोस्टी करतो राहतात, अना आपरो जीव अना बिस्वास को निरमान करता परमेस्वर ला देतात।