उनमा आमी भी पयले आपरो देह की मोह मा दिवस बितात होता, देह अना मन को मरजी ला पूरो करत होता, अना अखीन संसार को दुसरो लोकगीन को जसो बरताव लक परमेस्वर को गुस्सा की लेकरा होता।
काहेका आमी पुढ़ा बेअक्ल का रहत होता अना हुकूम ला नही मानत होता अना संका मा पड़या रव्हत होता। अना काई परकार को लोभ अना सुख सुविदा को चाकरी करत होता अना बइर, अना जरनाहि मा जिंदगी बितावत होता। अना आमी लक लोक घिरना करत होतीन अना आमी भी एकमेक लक घिरना करत होतो।