27 मी आपरो देह ला तकलीप देवासू, अना वोला आपरो बस मा राखासू। कही असो ना भई जाय का दुसरो ला परचार को मघा, मी खुद वोको पर चलनवारा नही बनू कही लोक असो ना कव्हे का “दियो खाल्या अँधार सेत।”
पर यदि तुमी आपरो मानूस सुभाव को अनुसार रव्हअ सेव, ता तुमी मरन वालो सेव। तरी आतमा लक मनला मार के जिंदगी को दिवस बितावअ सेव। ता जित्तो रव्हन को मौका सेत। यो काजी आतमा लक बुरो करम ला मार डाखो।
एकोलाय अदी मोरो जेवन, मोरो भाऊ अना बहिनगिन को लाय, पाप को कारन बना सेत, तो मी सदा जेवन नही जेहुँ। कही असो ना भई जाय का, मी आपरो भाऊ अना बहिन को काजी पाप को कारन बन जाऊ।