कोनी असो भी सांगेत पर जेवन पोटको लाय, अना पोट जेवन को लायसेत। पर परमेस्वर, यो दुई को अन्त कर देहेत। मंग देह छिंडरापन लाय नाहती, पर पिरभू काजी सेत, अना पिरभू देह काजी सेत।
हर प्रकार को अजब को सिक्सा मा नोको भरमो, तुम्हारो मन कोलाय यो साजरो सेत। का किरपा लक मजबूत बनयो रवहो, जेवनो पिवनो को नेम धरम लक नही। जोन लक कदिच कोनी को भलो नही भयो सेत। जोनना यो सब मानीसेत।