काहेका काही लोकगीन माय को गरभ लक, हिजड़ा होवासे, अना काही लोकगीन ला मानूस गीन हिजड़ा बना देइसेस, अना काही सरग राज लाय हिजड़ा बनिसेस, जोन यो सिक्सा अपना सका से, उ अपना लेवे।
जोन बीज कांटा को झाड़ पर पड़ासे, उ वय लोग सेत, जोन परमेस्वर को गोस्टी ला, आयकन पर, पयले धन-माया की चिंता, रोज को जिंदगी को सुक, लोभ-माया को कारन, उन मा फर नही लगासे।
अदी कोनी असो जरुरी समजासेत का मी वा कुंवारी को हक्कमार रहि सेव, जोनको जवानी ढल रही सेत, अना जरुरत भी सेत तो उ जसो मरजी मा सेत बिहा कर सका सेत। यो मा कोनी पाप नाहती वोको बिहाव होवन देवे।
एकोलाई हे भाऊगीन जोन-जोन गोस्टी खरो सेत, अना सुहानो मान भाव को सेत अना जोन-जोन नियाव वारो सेत, जोन-जोन गोस्टी पवीतर सेत, जोन-जोन गोस्टी मन ला खुस करासेत अना साजरो अना बड़ाई वालो सेत उन ला मन लगाय राखो।
छिनरा करनवालो, मरद सँगा खोटो काम करन वालो, मानूस ला बिकनवालो, झुठो बोलनवालो ना झुठी किरया खानवालो, अना ऐको अलावा खरो उपदेस को सब विरोध करनवारा को साठी ठहरायो गई से।