31 अना यो दुनिया को चीज ला, असो काम मा लावो, मानो वोको कोनी जरूरत नाहती। काहेका दुनिया को यो रुप बदलतो जाय रव्होसेव।
एकोलाय होसियार रव्हने, असो ना होहेत एने जीवन को, भोग-विलास, नसा-पानी अना संसार को, चिन्ता मा तुमारो मन लग जाहेत, अना एकदम वोना दिवस जाल जसो आ जाहेत।
ओ भाऊ हुन! मी असो कव्हसू, का बेरा कम कियो गयो सेत। एकोलाय, तुमीला जोनको बायका सेत, उ असो रव्हे का जसो वोकी बायको नाहती।
अना रड़नवारा असो रव्हे, मानो डोरा मा पानी नाहती। अना खुसी मनावनवारा, असो मनावे, जसो उ खुस नाहती। अना काही लेवनवारा असो लेवे, जसो वोको कठा काही नाहती।
तो ईनाम पर मोरो कोन तो हक से? अना मि साजरो बारता को बारे मा आपरो हक ला काम मा नही आनु सेऊ। उ यो से का मी फोकट मा, साजरो बारता ला सांगा सेऊ।
यो सबद “पुन्हा एक बेर” तइयार करयो हरेक गोस्टी को बारे मा इसारा मिलासेत। का जोन चीज डोलायो जाहेत मजे वोको नास होहेत, अना जोन नही डोलहेत मन्जे हरामेसा लक रव्हेत।
अखीन यो नही जानासेव का काल काजक होहे आयक त लेव लेने तुमरो जीवन से का? तुमी त धुंगा को जसो सेव जोन जरासी बेरा चोवासे अना लोप भईजासे।
काहेकी “हर एक देह गवथ को जसो से, अना वोकी सबरी महिमा गवथ को फूल को जसो से। गवत सूख जासे अना फुल झड़ जासे।
प्रत्येक गोस्टी को अखट्ट जवर आयो सेत। तुमी संतुलन अना संयम राखो। जोन लक तुमी पिराथना करू सकत।
यो संसार आपरी लालसा हुन अना मरजीहुन सकट खतम होतो जाय रही से पर उ जोन परमेस्वर को मरजी ला मानासे, अमर होय जासे।