30 अना रड़नवारा असो रव्हे, मानो डोरा मा पानी नाहती। अना खुसी मनावनवारा, असो मनावे, जसो उ खुस नाहती। अना काही लेवनवारा असो लेवे, जसो वोको कठा काही नाहती।
तबा अबराहम ना वोला सांगिस, हेतकर मोरो लाल, तोरो जीवन मा कसो-कसो सुख मिलिसेस, अखीन लाजर को जीवन मा कितरो मोठो-मोठो दुख होतो, अबा वोला चैन मिलि सेस, अना तोला दुख।
धन्य सेव तुम्ही जोन भुखो सेव, काहेका तुमी अघाय जाहो। धन्य सेव तुमी, अबा रोवसो काहेका तुमला हसनो पड़हेत।
धिक्कार सेत “तुमरो पर, अता अघाय सेव, काहेका तुम, ला भुखो रव्हनो पडे़त।” धिक्कार सेत तुमला, जोन अबा हासोसेव काहेका, तुमला रोवनो अखीन दुख मनानो पड़हेत।
वसोच परकार लक तुम्हिला अबा सोक से पर मि तुमी लक मँग मिलहु अना तुमरो मन खुसहाली लक भर जाहे। अना तुमरो खुसहाली कोनी तुम लक नही हिसक सकेत।”
ओ भाऊ हुन! मी असो कव्हसू, का बेरा कम कियो गयो सेत। एकोलाय, तुमीला जोनको बायका सेत, उ असो रव्हे का जसो वोकी बायको नाहती।
अना यो दुनिया को चीज ला, असो काम मा लावो, मानो वोको कोनी जरूरत नाहती। काहेका दुनिया को यो रुप बदलतो जाय रव्होसेव।
वा जेतरी आपरो बड़ाई करके जितरो सुक भोगिसेत, तुमी भी ओला ओतरो च परेसानी अना कस्ट देव। काहेकि उ मन च मन कव्ह से, “मि ता रानी जसो सेव। मि बेवा नहीं सेव, मोरो कबच आंसु नही बहेत।”
काहेकि मेढ़ा जो राजगद्दी को बीच मा बसयो से, ओको निगरानी राखेह। उनला जिंदगी को झरना को जवर ले जाहे। परमेस्वर उनको सब आँसू ला पोस डाकेह।