29 ओ भाऊ हुन! मी असो कव्हसू, का बेरा कम कियो गयो सेत। एकोलाय, तुमीला जोनको बायका सेत, उ असो रव्हे का जसो वोकी बायको नाहती।
अखीन एक ना कव्हयो, “मोरो लगन भइ सेस एको लाय मी नही आ सकसू।”
पर तू लगन करजोस, तो ओ कोनी पाप नाहती, अना कुवारी को लगन भई जाय, तो कोनी पाप नाहती। पर असो मा तन ला दुख होहेत, वोको लक मी बचावनो चाव्हासू।
अना रड़नवारा असो रव्हे, मानो डोरा मा पानी नाहती। अना खुसी मनावनवारा, असो मनावे, जसो उ खुस नाहती। अना काही लेवनवारा असो लेवे, जसो वोको कठा काही नाहती।
अना यो दुनिया को चीज ला, असो काम मा लावो, मानो वोको कोनी जरूरत नाहती। काहेका दुनिया को यो रुप बदलतो जाय रव्होसेव।
काहेकी “हर एक देह गवथ को जसो से, अना वोकी सबरी महिमा गवथ को फूल को जसो से। गवत सूख जासे अना फुल झड़ जासे।
प्रत्येक गोस्टी को अखट्ट जवर आयो सेत। तुमी संतुलन अना संयम राखो। जोन लक तुमी पिराथना करू सकत।
यो संसार आपरी लालसा हुन अना मरजीहुन सकट खतम होतो जाय रही से पर उ जोन परमेस्वर को मरजी ला मानासे, अमर होय जासे।