18 छिनालापन लक पराय जावो। अना सप्पा पाप, जोन मानूस करा सेत, वय देह लक बाहेर होवासेत। पर छिनालापन करनवारा, आपरो देह को बिरोध मा पाप करासेत।
यो कारन लक परमेस्वर ना उनला मन को इक्सा लक, सोड़ दियो। वय असुध्ध भई गईन, अना आपसी मा आपरो देह को अनादर मजे खोटो करम करन लगीन।
का तुमीला नही मालूम सेत? का बदी करन वालो परमेस्वर को राज मा वारिस नही होहेत। धोखा नोको खावो, छिनरापन करनवारा, ना तो मुरत पुजा करनवारा, ना दुसरो को बायको संग सोवनवारा, छिनाल,
अना कदी असो ना भई जाय का मोरो परमेस्वर मोला तुमरो कठा आवन काजी मंग मजबुर करे। अना तुमरो लाय मोला दुख उठानो पडहेत। जोनना पयले पाप कियो होतो, अना खोटो करम, अना दुसरो संग सोवनो को पाप अना वय अबा भी पाप लक मन ला हटाव नही भयो सेत।
अबा आँग को काम खुलोसेत, मजे छिंडरापन, खोटो करम कामुकता,
तुमरो बीच छीनाला अना हर कोनी तरीका को असुध्दता अना लोभ को चरचा तक नही होवनो चाहिसे, जसो का संत लोकगीन को लाई बेस से,
एको लाई आपरो उन आँग ला मार डाको जोन धरती मा रव्हसेत मजे छिनालापन असुध्दता, नीच काम बुरो कामना अना लोभ ला जोन मुरत पुजा को बरोबर से।
परमेस्वर की मरजी से का तुमी पवीतर बनो अना खोटो करम लक बचया रव्हो।
परजात गीन को जसो कामुक होयके नही जोन परमेस्वर ला नही जानासेत।
जुवानी को मन मरजी आस लक परावो, अना जोन सुध्द मन लक पिरभू को नाव लेवसेत, उनको संग धरम अना बिस्वास अखीन पिरेम अखीन मेल मिलाप को पीछा करो।
लग्न को सबला आदर करनो पाहिजे लग्न को सेज ला पवितर राखो। काहेका परमेस्वर छिनाला करनवारा, गाली बकन वालो ला सजा देहेत।
अरे चहेतो संगीहुन, तुमी संसार मा परदेसी जसो सेव। निवेदन करासु का तन को इक्सा लक दुहुर भई जाव, जो तुमरो आतमा लक लड़ाई करासेत।