अदी मोरो जवर पेरीत जसो उपदेस देवन को वरदान सेत। मोला सबा परकार को गियान हो सका सेत, अना सबा राज की गोस्टी समजनो असान सेत। पहाड़ ला हटान को बिस्वास सेत। पर पिरेम नाहती तो काही नाहती।
मी मुरख तो बन गयो, पर तुमी ना मोला मुरख बनन काजी बेबस करीसेव। तुमला तो मोरी बडाई करनो होत्यो, काहेकि अदी मी काही भी नही सेव, ताभि मी उन मोठो लक मोठो पेरीत गीन लक काही गोस्टी मा कम नही सेव।
पर वोना मोरो लक सँगीस, “मोरो किरपा तोरो लाय गजब सेत, काहेका मोरो ताकत कमजोरी मा च चोवासेत यो काजी मी खुसी-खुसी लक आपरो कमजोरी पर गरब करबिन का मसीह को ताकत मरो पर सवली करत रव्हे।”