वहाच लीदिया नाव को बाई होती। वा किमती बैंजनी कपरा को धंधा करत होती। अना परमेस्वर की पिराथना करत होती। वा आमरी गोस्टी आयकत होती। पिरभू ना ओको मन को बेसकुड़ खोलिस। जोनलक वा पौलुस की गोस्टी धियान देयके आयके।
काहेका मसीह ना मोला बप्तिस्मा देवन काजी नही, पर साजरो बारता आयकुआय लाय हक लक धाड़िसेस। वो भी सबद को लक नही, कही असो ना होहे की, मसिहा को कूरूस ला लोक बेकार समझन लगहेत।
पर वोना मोरो लक सँगीस, “मोरो किरपा तोरो लाय गजब सेत, काहेका मोरो ताकत कमजोरी मा च चोवासेत यो काजी मी खुसी-खुसी लक आपरो कमजोरी पर गरब करबिन का मसीह को ताकत मरो पर सवली करत रव्हे।”