हन्ना नाव को एक भविस्यवक्तनी बाई होती। जो आसेर को खानदान मा, फनुऐल को टुरि होती। वा गजब बुड़गी होती। वा लगन को बाद मा, केवल सात साल, अपरो नवरा संग जित्तो रहि होती।
परमेस्वर कव्होसे, का आखीर को दिवस मा असो होयेत का मी सबा मानूसगिन पर आपरो आतमा उबड़ा देहूँ, मग तुमरो टूरा अना टूरी भविस्यवानी सागेत। अना तुमरा जवान दरसन देखेत, अखीन तुमरा सायनो सपना देखेत।