16 अना हव मीना स्तिफनास को घराना ला छोड़, अखीन कोनी ला मी बप्तिस्मा नही देइसेव।
उ तुमरो लक या गोस्टी कहे, का जोको लक तु अना तोरो सप्पा खानदान सूटकारा पाय जाहे।
जबा ओना अना ओको परिवार ना बप्तिस्मा लेईन। मंग बिनती करीस, “अदी तुमी लोक मोला बिस्वासी मानासो ता मोरो घरमा रव्हो।” असो कव्ह के आमीला मनाईस।
रात को वोन च बेरा मा वोना उनला लीजायके उनका घाव धोयके अखीन उनना अपरा सबच लोकगीन समेत गदने बप्तिस्मा लेईस।
कहि असो ना होहे का, कोनी बोलहेत का तुमीला मोरो नाव लक बप्तिस्मा मिलिसेत।
अगो भाऊ अना बहिनगिन! तुमी लोकगीन लक मोरो एक पिराथना सेत, तुमी स्तिफनास को घर परिवार ला जाना सेव। वय अखया युनान को पयलो फर सेत। अना पवीतर सन्तगिन को सेवा मा लगयो रव्हा सेत।
स्तिफनास, फुरतुनातुस, अना अखइकुस को आवन लक मोला मोठयो खुसी भई। उनना तुम लोकगीन को कमी पूरो कर देईन।