5 जादा वारु ह़ु से? “तारा पाप नी लेदे तने माफी जड़ जी केवा वारु से के, ‘उठीन तारु खाटलु उचलीन चाल केवा वारु से?’”
तीहयी वखत थोड़ाक माणहु, लखवा मे पड़ला एक माणेह ने खाटला मे ह़ुवाड़ीन ईसुन्तां लाया। तीमनो भरहो देखीन ईसु तीहया लखवा मे पड़ला ने हुकम आपीन केदो, सोरा, हीमम्त राख! तारा पाप नी लेदे तने माफी जड़ जी।
पण मे आहयु आसम करीन की र्यो के तमु आहयु जाण लेवो के मनख्या ना सोरा ने धरती पोर पाप नी लेदे माणहु ने माफी आपवा नो बी हक से। अळतेण ईसु लखवा मे पड़ला माणेह ने केदो, “उठ अने तारु खाटलु उचलीन तारा घोर जत रे।”