21 जे मने “ए मालीक! ए मालीक! केय, तीमनी माय्न कोय बी ह़रग राज मे भराय नी सके, पण तीहया एतरा जे मारा ह़रग वाळा बाह नी मरजी पोर चाले।”
काहाके जे कोय मारा ह़रग वाळा बाह नी मरजीन अनसारे जीवे, तीहयोन-तीहयो मारो भाय, अने मारी बेनेह, अने मारी आय्ह़ से।”
अने केदो, मे तमने ह़ाचलीन केम, कदी तमु नी फीरो अने सोरान तेम नी बणो, तां तक ह़रग राज मे नी भराय सके।
तीनो मालीक तीने केदो, “घणु वारु, भला अने भरहा लायक पावर्या! तु थोड़ुक मे भरहा लायक र्यो, मे तने ढेरकी चीज पोर हक आपही। तारा मालीक नी खुसी मे साजल्यो बण।”
मे अळी केम “के ह़ोय ना डुचा मे हय्न उटड़ा ने सरकवा नु सरल से, बाखीन मालदार ने भगवान ना राज मे भरायवा घणु काठु से।”
“आहयीत रीते कदीम तमारी माय्न आखा आह़फा ना भाय ने मन सी माफ नी करे, ता मारो बाह जे ह़रग मे से, तमारी ह़ाते बी आसमेत करहे।”
ईसु एक कावा अळी, जाय्न, आहयी वीन्ती कर्यो, “ए मारा बाह! कदीम आहयो पीयालो मारा पीया वगर नी टळे, ता तारीत मरजी पुरी हये।”
ता ईसु सीमोन ने केदो, ए सीमोन, योना ना सोरा! तु जुगाळो से, काहाके आहयी वात डील अने लोय मे रेण्यो कानो माणेह नी, बाखीन मारो ह़रग वाळो बाह तारी पोर उजन्ती करलो से।
ईसु थोड़ोक अगो जाय्न अळतेण तीहयो धरती पोर ढुंगो वळीन वीन्ती कर्यो, “ए मारा बाह! कदीम तारी मरजी हय, ता आहयो दुख नो पीयालो टाळ दे। ते बी मारी नी पण तारीत मरजी पुरी हये।”
चेतीन रेवो! जे मारी पोर भरहो करे, तीमनी मे जे नान्ला से, तीमने बी तमु हेटा नी ह़मज्जो। काहाके मे तमने देखाड़ु के ह़रग मे आमना ह़रगदुत आमनी जुगु मारा बाह नी अगळ वीन्ती करवा नी लेदे हमेसा हजुर रेय।
अळी मे तमने ह़ाचलीन केम, कदीम धरती पोर तमारी मे बे जणा एक-मन्या हय्न कंय बी मांगहे, ता तीहयु तीमने मारा ह़रग वाळा बाह वगे गेथु जड़हे;
अने तीहया कुवार्या सोर्या तेल लेवा जवात बाज र्या हता अने नवलो लाडो आय लाग्यो। तीहयीत टेमे जे तीयार हती, तीहयी तीनी ह़ाते वेवा वाळा घोर मे जत री, अने झापला दी देदा।