10 तारु राज आवे। तारी मरजी जीसम ह़रग मे पुरी हये, तेमेत आहयी धरती पोर बी पुरी हये।
ईसु एक कावा अळी, जाय्न, आहयी वीन्ती कर्यो, “ए मारा बाह! कदीम आहयो पीयालो मारा पीया वगर नी टळे, ता तारीत मरजी पुरी हये।”
काहाके जे कोय मारा ह़रग वाळा बाह नी मरजीन अनसारे जीवे, तीहयोन-तीहयो मारो भाय, अने मारी बेनेह, अने मारी आय्ह़ से।”
जे मने “ए मालीक! ए मालीक! केय, तीमनी माय्न कोय बी ह़रग राज मे भराय नी सके, पण तीहया एतरा जे मारा ह़रग वाळा बाह नी मरजी पोर चाले।”
“पापु ने सोड़ीन आह़फाम ना मन ने भगवान वगा वाळो, काहाके ह़रग नु राज ह़ातेत आय जेलु से।”
तीहयी टेमे गेथो ईसु आहयु परच्यार करवा बाज ज्यो, पाप भणी गेथु मन फीरवीन भगवान वगा वळो। ह़रग नु राज ह़ाते आय लागलु से।
मे तने ह़ाचलीन केम, आञे ह़ारीक थोड़ाक आसवा माणहु बी हजुर से। जे तत्यार लग नी मरे जत्यार लग मनख्यान बेटा ने तीना राज मे आवत्लो नी देख लेय।