37 कदीम तमारी वात “होव हय” ता “होव केजो” अने “नी” हय ता “नी” केजो। काहाके आनी गेथु वदु केय तीहयु बुराय मे गेथु से।
बीज वाव्वा नी टेमे जे बीज वाट धेड़े पड़्या, तीहया आहयी सेलाणी देखाड़े के कदीम कोय भगवान ना राज ना बोल ह़मळे, बाखीन ह़मजे नी, ता तीना मन मे जे वेरायलु से, तीने कुहर्यो भुतड़ो आवीन लीत्ती रेय।
अने खेतर आहयी कळी से: वारलु बीज भगवान ना राज ना माणहु से; अने जंगली बीज कुहर्या भुतड़ा ना माणहु से;
काहाके गलत वीच्यार, हत्या, बीजी बयर ने राखवा, छीनाळु, चोरी, झुटी गवाय देवा, वाक काडवा ना आहया आखा वीच्यारु माणहु ना मन मे गेथात नीकळे।
अने आह़फा ना मुंडा नी बी ह़ाम नी खाजो, काहाके तमने मुंडा नो एक बी नीम्बाळा धोळा नीता काळा नी कराये।
अने जत्यार पाप कराव्वा नी पारख आवे ता आमने पाप मे नी पड़वा देजे, पण बुराय सी बचाड़।”