23 कदीम तमु वेदी पोर आह़फा नी भेट चड़ाव्वा लाय र्या हय, अने तां ह़ारीक तमने आहयु फोम आवे के मारा भाय ना मन मे मारी भणी गेथु कंय वीरोद से।
ए आंदळा! कोय मोटु से? भेट मोटी से के तीहयी वेदी मोटी से? जीनी सी भेट चोखी हय जाय?
ता तु आह़फा नी भेट तांत वेदी अगळ रेवा दीन पेले आह़फा भाय ह़ाते मेळ कर ले अने अळतेण आवीन भेट ने चड़ावो।
अने ईसु तीने केदो, ह़मळ आञे जे हयु तीहयु कोयने नी केजे। पण पुंजारान्तां जा, अने आह़फा नु डील ने देखाड़जे। अने मुसा ना कायदान लारे तीने भेट चड़ावजे; ता आखा माणहु जाणीन गवा बण जहे।