66 तीहया ज्या अने मड़ाट्या ना झापला पोर लागला दगड़ा पोर सील लगाड़ देदा। अने मड़ाट्या नी रखवाळी करवा बाज ज्या।
अने देखो, धरती हीली, काहाके मालीक नो एक दुत ह़रगे गेथो उतर्यो अने ह़ाते आवीन तीहयो दगड़ा ने ढबळाय देदो, अने तीनी पोर बह ज्यो।
अने आह़फा जुगु चाफर्या मे खोदाड़ीन बणावला मड़ाट्या मे तीहया धोड़ ने मेक देदो, अने तीहयो चाफर्या ना मड़ाट्या ना झापला पोर मोट्लो दगड़ो ढबळावीन जत र्यो।
तीहयी जवात बाज री हती के पेहरो देण्या मे गेथा थोड़ाक माणहु ह़ेर मे आवीन आखी वात डायला पुंजारा ने ह़मळाया।
पीलातुस केदो, “पहरो देण्या सीपायड़ा ने ली जावो, अने जीसम तमने ह़मज मे आवे तेमेत मड़ाट्या नी रखवाळी करजो।”