54 पण कदीम मे आसम वीन्ती करीन ह़रगदुत बोलाय लेही ता खरली सास्तर मे लीखली वात केम पुरी हयहे?”
मनख्या ना सोरा ने ते जवानुत से जेम तीना बारा मे लीखलु से; पण तीहया माणेह जुगु घणी दुख नी वात से, जे मनख्या ना सोरा ने धरायो! तीहयो माणेह पयदा नी हयतो ता वारु रेतु।”
ईसु तीमने केदो, “तमु खरला सास्तर मे आहयु कदी भण्या नी ह़ु: ‘जे दगड़ा ने राज-मीस्तर्या रीकामो ह़मजीन बारथो नीकाळ देदा, तीहयो दगड़ोत घोर ना पाया ना, खुणे वाळो दगड़ो बण ज्यो? आहयु ते मालीक वगे गेथु हयु, आहयु ते अमारी नींगा मे सेल-भात्यु से।’”