41 “ता तीहयो आह़फा ना डाखरी धेड़े वाळा माणहु ने केहे, ‘ए खोड़ला! मारीन्तां गेथा सेटा हय जावो। तीहयी जलमकी आक्ठी मे जावो, जे भुतड़ा जुगु ने तीना दुतु जुगु तीयार करलो से;
तीहयो आह़फा नु ह़ुपड़ु तीना हात मे ली लेदलो से, अने तीहयो आह़फा ना खळा मे गम नीकाळीन चोखाळहे अने गम ने मोहटी मे भरहे, पण गम ना चारा ने आक्ठी मे नाख देहे जे कदी नी ओलाये।”
पण मे तमने केम जे कोय आह़फा ना भाय पोर रीह करहे तीने कोरट-कचवरी मे नीयाव ना दाड़े डंड नी लायक ठेरहे। अने कदीम कोय आह़फा ना भाय ने रीकामा, केहे तीहयो मोट्ली पंचु मे डंड नी लायक ठेरहे; अने जे कोय आह़फा ना भाय ने ए गांडा, केहे तीहयो नरक नी आक्ठी नो डंड नी लायक ठेरहे।
तत्यार ईसु भुतड़ा ने केदो, “ए भुतड़ा, सेटो हय जा! काहाके चोखली सास्तर मे लीखलु से, तमु आह़फा ना मालीक भगवान ने वांद्या करो, अने नीस्ती तीनीत सेवा करो।”