26 तीनो मालीक तीने केदो, “ए वेरी अने ओगज्या पावर्या! तने मालम हतु के ‘मे जां नी वेर्यो, तां वाडु, अने जां नी छाट्यो, तां मे ह़ेमटु।’”
तत्यार तीनो मालीक तीने बोलावीन केदो, “ए वेरी चाकर्या, तु जे मारी पांह वीन्ती कर्यो, ता मे ते तारो पुरो करजो माफ कर्यो।”
अने घणा ढेरका माणहु ईसु नो आव-भाव करवा करीन आह़फा ना लुगड़ा वाट पोर आथरी देदा। अने थोड़ाक माणहु झाड़ ना डाळ्या वाडीन वाट पोर आथरी देदा।
तत्यार तीहयो आयो, जीने एक हजार रुप्या आपला हता। तीहयो केदो, “मालीक! मने मालम से के तु घणो वातड़ो से। तु जां नी वेर्यो, तां वाडे, अने जां नी छाट्यो, तां तु ह़ेमटे।
एतरे मे बीह ज्यो, अने जाय्न तारा रुप्या ने कादा मे डाटीन ह़ताड़ देदो, अने देख, आहया तारा ह़ोना ना सीक्का से, अने आहया पासा ली ले।”
ता तने मारु धन ह़ोवकार्यान तां ली जाय्न आप देवा हतु, ता मे पासो आवीन वीयाज भेळ मांग लेतो।