24 तत्यार तीहयो आयो, जीने एक हजार रुप्या आपला हता। तीहयो केदो, “मालीक! मने मालम से के तु घणो वातड़ो से। तु जां नी वेर्यो, तां वाडे, अने जां नी छाट्यो, तां तु ह़ेमटे।
तीहया केदा, “आहया पाछला दाड़क्या एक घंटो काम कर्या। ते बी तु अमारी बराबर दाड़की आप्यो, पण आमु आखो दाड़ो तोप मे काठी मेहनत कर्या।”
जे मने “ए मालीक! ए मालीक! केय, तीमनी माय्न कोय बी ह़रग राज मे भराय नी सके, पण तीहया एतरा जे मारा ह़रग वाळा बाह नी मरजी पोर चाले।”
जत्यार तीहयो लेखो लेवा बाज ज्यो, ता एक जणा ने तीनी अगळ लायो जे करोड़ो रुप्या नो करजा वाळो हतो।
एतरे मे बीह ज्यो, अने जाय्न तारा रुप्या ने कादा मे डाटीन ह़ताड़ देदो, अने देख, आहया तारा ह़ोना ना सीक्का से, अने आहया पासा ली ले।”
तीनो मालीक तीने केदो, “ए वेरी अने ओगज्या पावर्या! तने मालम हतु के ‘मे जां नी वेर्यो, तां वाडु, अने जां नी छाट्यो, तां मे ह़ेमटु।’”