47 मे तमने ह़ाचलीन केम, तीहयो मालीक तीने, आह़फा ना आखा माल-धन पोर मुखी बणावीन ठेरावहे।
तीनो मालीक तीने केदो, “घणु वारु, भला अने भरहा लायक पावर्या! तु थोड़ुक मे भरहा लायक रेलो से, मे तने ढेरकी चीज पोर हक आपही। तारा मालीक नी खुसी मे साजल्यो बण।”
तीनो मालीक तीने केदो, “घणु वारु, भला अने भरहा लायक पावर्या! तु थोड़ुक मे भरहा लायक र्यो, मे तने ढेरकी चीज पोर हक आपही। तारा मालीक नी खुसी मे साजल्यो बण।”
जुगाळो से तीहयो पावर्यो, जीनो मालीक आवे, तत्यार तीहयो तीने ह़ोपलु काम करत्लो देखे।
पण कदीम तीहयो बेमान पावर्यो तीना मन मे आहयो वीच्यार करे के मारा मालीक नी आव्वा मे वार से।