38 जे दाड़े तक नुहो मोट्ला ढुंड्या मे नी भरायो, तांह तक माणहु खाता-पीता, अने वेवा करता हता।
काहाके जीवता हयवा पोर वेवा नी हये पण ह़रग मे आखा ह़रगदुत ने तेम रेहे।