24 ए आंदळा अगळवाण्या! तमु मीचर्या ने ते झारो, बाखीन उटड़ा ने ते गळ जावो।
मे अळी केम “के ह़ोय ना डुचा मे हय्न उटड़ा ने सरकवा नु सरल से, बाखीन मालदार ने भगवान ना राज मे भरायवा घणु काठु से।”
ए आंदळा अगळवाण्या! तमारी जुगु घणी दुख नी वात से! काहाके तमु केवो, “कदीम कोय भगवान ना मंदीर नी ह़ाम खाय, ता तीनी कंय नी खरी हय, पण कदीम कोय मंदीर ना ह़ोना नी ह़ाम खाय, ता तीनी वात खरली उतरी जाय।”
तु तारा भाय ने कीकम की सकत्लो, ‘लाव’ मे तारा डोळा मे गेथु कचरु नीकाळ देम, पण देख, खटकु ते तारा डोळा मे से?”
हीमने रेवा देवो; हीय्या आंदळानेत वाट देखाड़े। कदीम एक आंदळो, बीजा आंदळा ने वाट देखाड़े ता बेम जणा खाडा मे पड़ जहे।