42 “मसी ना बारा मे तमु ह़ु सोचो? तीहयो कोयनो सोरो से?” तीहया तीने केदा, “दावुद नो।”
ईसु मसी ना आड़ा-बुड़ा नी नाम नी लीखली सुची नी कीताप, जे अब्राहम नी अवल्यात, अने दावुद नी अवल्यात हता।
ईसु नी अगळ-अगळ जता जीन अने पसळ-पसळ आवता जीन माणहु ईसम की र्या हता, “दावुद नी अवल्यात ने होसन्ना! बरकत वाळो से तीहयो, जे भगवान मालीक ना नाम सी आवे। आखा मे उचा ह़रग मे रेवा वाळा नी होसन्ना!”
आहयु देखीन ढुंड्या मे वाळा माणहु ईसु नी भक्ती करीन केदा, तु ह़ाचलीन भगवान नो बेटो से।
जत्यार ईसु तां गेथो अगो ज्यो, ता बे आंदळा ईसु पसळ आसम आड़ता जाय्न चाल पड़्या, “ए दावुद नी अवल्यात, अमारी पोर दया कर।”
तीहयो तीने पुछ्यो, “ता दावुद आत्मा मे हय्न हीने मालीक ह़ुका केय?