28 तमारो ह़ु वीच्यार से? काना अदमी ना बे सोरा हता। तीहयो पेल्नान तां जीन हुकम आपीन केदो, “सोरा जा, आज अंगुर नी वाड़ी मे काम कर।”
ह़रग नु राज तीहया घोर ना मालीक ह़रकु से, जे आह़फा नी अंगुर नी वाड़ी मे दाड़क्या लगाड़वा करीन ह़वारे नीकळ्यो।
एक बीजो दाखलो ह़मळो: कानो कीरसाण अंगुर नी वाड़ी लगाड़्यो, तीना च्यारो-मेर वाड़ बांद्यो, अने तीहयी वाड़ी मे अंगुर नो रोह काडवा करीन एक खाडो खोदीन हळावो बणायो, अने वाड़ी मे एक पक्को माळो बणायो। अळतेण तीहयो अंगुर नी वाड़ी ने बीजा कीरसाण ने साजा मे आपीन ढेरेत नाम्बे बीजा देस मे जत र्यो।
पतरस केदो, “होव, आपत्लो।” जत्यार पतरस घोर आयो, ता ईसु तीने पुछते-पुछते पेलेत तीने केदो, “ए सीमोन! तु ह़ु ह़मजे? आहयी कळी ना राजा कोय पांह फाळो अने करजो लेय? आह़फा ना सोरा पांह के बीजा पांह?”
एतरे आमने देखाड़ तु ह़ु सोचे? केसर ने फाळो आपवा वारु से के नी हय।”
एतरे तीहया ईसु ने जपाप आप्या, “कय जाणु, आमु ने नी मालम हय?” एतरे ईसु तीमने केदो, “ता मे बी तमने नी केतो के मे काना हक सी आहयु आखु करु।”
पण सोरो जपाप आप्यो, मे नी जाम, पण अळतेण तीना मन मे अंगुर नी वाड़ी मे जवा नो वीच्यार आय ज्यो अने तीहयो अंगुर नी वाड़ी मे जत र्यो।