8 ह़ांती टेमे अंगुर नी वाड़ी नो मालीक आह़फा ना मुनीम ने केदो, “दाड़क्या ने बोलाव” अळतेण पसळ वाळा ने लीन, पेले आव्वा वाळा तक, आखा ने दाड़की आप दे।
जत्यार मनख्या नो सोरो आह़फा बड़ाय भेळ आवह़े, अने आखा ह़रगदुत तीनी ह़ाते आवहे ता तीहयो आह़फा नी बड़ाय नी राजगादी पोर बहलो रेहे।
ढेरेत दाड़ा वीत ज्या अने अळतेण तीहया पावर्या नो मालीक पासो आवीन तीमनी पांह हीसाब लेवा बाज ज्यो।
तीहया तीने केदा, “आमने कोय नी दाड़क्या लगाड़्या करीन आमु आञे ह़ारीक उबा हय र्या।” तीहयो तीमने केदो, “तमु बी मारी अंगुर नी वाड़ी मे काम करवा जावो।”
जत्यार तीहया दाड़क्या आया, जे एक घंटो दाड़ु बुडवा मे री रेलुन लगाड़ला, ता तीमने एक-एक दीनार आप्यो।