14 तारी दाड़की ले अने जत रे, मे आहया पाछला दाड़क्या ने बी तारीन तेतरु आपवा हींडु।
जत्यार तमु उपाह़ करो, ता ढोंगड़ा करन्यान तेम तमारा मोडा पोर नुरपाणी नी रेय, काहाके तीहया आपणु मोडु बी नी धोवे, काहाके माणहु तीमने उपाह़ वाळो जाणे। मे तमने ह़ाचलीन केम, के तीमने आपणु ईलाम जड़ जेलु से।
पण जत्यार तु वीन्ती करे, ता आह़फा ना घोर मे जा अने झापलु दीन ह़ताय्न आपणा भगवान बाह सी वीन्ती कर। तत्यार तारो बाह जे ह़ताय्न देखे, तने फोळ आपहे।
एतरे जत्यार तमु काना गरीब दुखी ने दान आपो, ता तीहयी वात ने आखा अगळ ना केवो, जीसम के भक्ती ना घोरु अने गळी मे ढोंगड़ा करन्या माणहु बीजा पांह बड़ाय हात करवा करीन करे। मे तमने ह़ाचलीन केम, तीमने तीमनी बड़ाय नी लारे पेलेत फोळ जड़ जेलु से।
तीहयो तीमनी मेना एक ने आहयु केदो, “भाय! मे तमारी ह़ाते गलत नीयाव नी करतो, तमु मारी ह़ाते एक दाड़ो दीनार नी बोली नी कर्या ह़ु?
ह़ु आहयु वारु नी हय के मारा धन ने मारी मरजी सी वापरु? तमु मारी भलाय ने देखीन मारी पोर काहा कुहराय र्या?