24 मे अळी केम “के ह़ोय ना डुचा मे हय्न उटड़ा ने सरकवा नु सरल से, बाखीन मालदार ने भगवान ना राज मे भरायवा घणु काठु से।”
ईसु तीमनी भणी भाळीन केदो, “माणहु जुगु ते आहयु, नी बणे एवु से। पण भगवान जुगु आखु कंय बण जाय।”
ए आंदळा अगळवाण्या! तमु मीचर्या ने ते झारो, बाखीन उटड़ा ने ते गळ जावो।
आहयु ह़मळीन चेला घणा वहराय ज्या अने केदा, “ता कोयने छुटकारो जड़हे?”