13 तीहयी टेमे माणहु आह़फा-आह़फाम ना सोरा-सोरी ने ईसुन्तां आनीन करते लाया के तीहयो तीमनी पोर हात मेलीन वीन्ती करे करीन, पण सोरा ने ह़ु करवा लाय र्या करीन तीना चेला माणहु ने वड्या।
माणहु तीहया आंदळा ने होगा री जावो करीन वड्या, पण तीहया अळी बी ज्योरेत आड़ीन केदा, “मालीक! दावुद नी अवल्यात! अमारी पोर गीण कर।”
पतरस ईसु ने आंग्ये ली ज्यो अने तीने आहयु कीन वड्यो, ए मालीक! तारी ह़ाते भगवान आसम नी करे तारी पोर आसम कदी नी हये।
काहाके थोड़ाक माणहु ईसम से जे आय्ह़ नी कोख मे गेथात हीजड़ा जणायला से, अने थोड़ाक माणहु ईसम से, जीमने बीजा माणहु हीजड़ा बणाय देदला से। अने थोड़ाक माणहु ईसम से जे ह़रग ना राज नी करता वेवा करे वगर जीव्वा करीन वात ठाण लेदला से। ईमने वेवा करे वगर जीव्वा नी ताखत जड़ली से, तीमने सड़लो रेवा जोवे।”