35 “आहयीत रीते कदीम तमारी माय्न आखा आह़फा ना भाय ने मन सी माफ नी करे, ता मारो बाह जे ह़रग मे से, तमारी ह़ाते बी आसमेत करहे।”
अने जीसम आमु अमारा गुनेगार ने तीमना पाप ना लेदे माफी आपला से, तेमेत तु अमारा पाप ना लेदे आमने माफी आप;
अने तीनो मालीक खीजवाय्न तीने डंड आपवा वाळा ना हात मे ह़ोप देदो, के जत्यार तक तीहयो आखो करजो छुटी नी जाय, तांह तक तीना हात मे रेय।