34 अने तीनो मालीक खीजवाय्न तीने डंड आपवा वाळा ना हात मे ह़ोप देदो, के जत्यार तक तीहयो आखो करजो छुटी नी जाय, तांह तक तीना हात मे रेय।
पण तीहयो पावर्यो नी मान्यो, अने तीने ली जाय्न जेल मे कुंड देदो; के तीहयो जत्यार तक करजो नी छुट जाय तांह तक तीहयो तांत रेय।
एतरे जेम मे तारी पोर दया कर्यो, तेमेत ह़ु तने तारा ह़ाते वाळा पावर्या पोर दया नी करवा जोवे ह़ु?
“आहयीत रीते कदीम तमारी माय्न आखा आह़फा ना भाय ने मन सी माफ नी करे, ता मारो बाह जे ह़रग मे से, तमारी ह़ाते बी आसमेत करहे।”