17 ईसु केदो, वण-भरह्या अने टीनाळ्ळी पीड़ी ना माणहु! कारु लग तमारी ह़ाते रेही अने मे तमने कां लग वेठतो रेम? हीय्या सोरा ने मारीन्तां ली आवो।
एतरे जत्यार भगवान चोवगान ना चारा ने, जे आज से, अने काले आक्ठा मे नाख देहु, एवा लुगड़ा पेरावे, ता ए वण-भरहा वाळा, तमने तीहयो काहा नी पेरावे?
अने ईसु तां भरहो नी कर्या करीन जादा काम नी कर्यो।
ईसु तीमने केदो, ए, वण-भरह्या! तमु एतरी जबर ह़ुका बीही र्या? अळतेण तीहयो आंजी अने पाणी ने वड्यो अने आखु धीरु पड़ ज्यु।
ईसु तीमना वीच्यार जाणीन तीमने केदो, “ए कम भरह्या! तमु आहयु काहा वीच्यार कर र्या, के ‘आपणु रोट्ला नी लाया, एतरे आहयो आसम केय?’”
मे हीने तारा चेलान्तां लावलो, पण तीहया हीने आरगु नी कर सक्या।”
ईसु ते भुत ने वड्यो, अने तीहयो भुत तीना सोरा मे गेथो नकळी ज्यो। अने तीहयु सोरु तेत्री घड़ी आरगु हय ज्यु।