16 मे हीने तारा चेलान्तां लावलो, पण तीहया हीने आरगु नी कर सक्या।”
“मालीक! मारा सोरा पोर गीण कर। हीने फेपरु आया करे। हीय्यो घण-जबर वेला कर्या करे; अने वळ-वळीन आक्ठु मे अने पाणी मे पड़ जाय।
ईसु केदो, वण-भरह्या अने टीनाळ्ळी पीड़ी ना माणहु! कारु लग तमारी ह़ाते रेही अने मे तमने कां लग वेठतो रेम? हीय्या सोरा ने मारीन्तां ली आवो।