तत्यार ईसु भुतड़ा ने केदो, “ए भुतड़ा, सेटो हय जा! काहाके चोखली सास्तर मे लीखलु से, तमु आह़फा ना मालीक भगवान ने वांद्या करो, अने नीस्ती तीनीत सेवा करो।”
आहयी कळी ना माणहु जुगु घणी दुख नी वात से, जे भगवान ना माणहु ने पाप मे पाड़वा नो जपाप बणे। पाप मे पड़वा नी पारख ते आया करहे, पण तीहया माणेह जुगु बी घणी दुख नी वात से, जे बीजा जुगु पाप नो जपाप बणे।