27 तीहयी केदी, होव, मालीक! पण ते बी मालीक नी थाळी मे गेथु टेबल पोर गेथु हेटु पड़लु खाणु ते कुतरा खाय लेय।
सुबेदार केदो, “ए मालीक मे एतरो वारु नी हय के तु मारा घोर आवे। पण तु एकीत बोल कीदे ता मारो पावोर आरगो हय जहे।”
ईसम करीन तमु आह़फा ना ह़रग वाळा भगवान बाह नी अवल्यात बण जहु; काहाके तीहयो भोळा अने कुहर्या बेम माणहु पोर आह़फा नु दाड़ो उगाड़े अने धरमी अने वण-धरमी बेम माणहु पोर पाणी पाड़े।
पण ईसु दाखलो कीन तीने जपाप आप्यो, सोरा पांह गेथो रोट्लो हापकीन कुतरा अगळ नाखवा वारु नी हय।
तीनी वात ह़मळीन ईसु केदो, “ओ बयर! तारो भरहो घणो मोटो से, तारी मरजी पुरी हये।” अने तेतरी घड़ी तीनी बेटी वारु हय जी।