29 ईसु केदो, आव। अने पतरस ढुंड्या मे गेथो उतरीन पाणी पोर चालतो जाय्न ईसु भणी जवा बाज ज्यो;
ईसु तीमने केदो, “मे तमने ह़ाचलीन केम, कदीम, तमारो भरहो हय अने तमु सण्का नी करो, ता मे गुलर ना झाड़ ने जीसम केदो तेमेत हय ज्यु, तेमेत तमु केहु, ते बी तेमेत हय जहे। पण कदीम तमु आहया बड़ा ने केहु, आञे गेथो ह़रकीन दर्या मे पड़ जा, ता आहयो बड़ो तमारी वात मान लेहे, अने तेमेत हय जहे।
ईसु तीमने केदो, तमारी पांह भरहो कमतो से; एतरे तमारी सी भुत नी नीकळ्यो। मे तमने ह़ाचलीन केम, कदी तमारो भरहो राय ना दाणा बराबर बी हतो, ता तमु आहया बड़ा ने बी केता के आञे गेथो ह़रकीन सेटो हय जा, ता आहयो बड़ो बी ह़रकीन सेटो हय जतो; अने तमारी जुगु कंय बी नी हय सके ईसम नी रेतु
पतरस केदो, “ए मालीक! कदीम तुत से, ता मने पाणी पोर चालीन तारीन्तां आव्वा नो हुकम आप।”
पण तीहयो ज्योरे आवत्लु वाहळु देखीन बीह ज्यो, अने तत्यारुत पाणी मे डुबवा बाज ज्यो, अने आड़वा बाज ज्यो, “ए मालीक! मने बचाड़।”