48 अने जत्यार जाळ भराय जी, ता काहर्या तीनी जाळ ने धेड़े हापकी लाया, अने बहीन वारु-वारु तां ठाहरा मे भेळा कर्या अने बगड़ला-बगड़ला माछला ने नाख देय।
वाडणी आवते लग भेळात वदवा देवो। वाडवा नी टेम पोर वाडवा वाळा ने केही, ‘पेले जंगली बीज ना झाटवा भेळा करो अने धपाड़वा करीन हीमना पुळा बांदो। अने अळतेण गम ना दाणा ने मारी मोहटी मे भेळा करो।’”
तीहयो आह़फा नु ह़ुपड़ु तीना हात मे ली लेदलो से, अने तीहयो आह़फा ना खळा मे गम नीकाळीन चोखाळहे अने गम ने मोहटी मे भरहे, पण गम ना चारा ने आक्ठी मे नाख देहे जे कदी नी ओलाये।”
जत्यार ईसु गलील दर्या धेड़े माय्न जवा बाज र्यो हतो, ता बे भाय ने देख्यो, सीमोन ने, जे पतरस बी केवाये, अने तीना भाय अंदर्यास ने। तीहया दर्या मे जाळ नाख्वा बाज र्या हता काहाके तीहया काहर्या हता।
“अळी ह़रग नु राज तीहयी मोट्ली जाळ ने तेवु से तीहया दर्या मे नाख देदा, अने आखी भाती ना माछला हापकी लायो।
कळ खत्तम हयवान टेमे बी एमेत हयहे। ह़रगदुत आवीन पापी माणहु ने धरमी माणहु मे गेथा सेटा करहे,