आहयी कळी ना माणहु जुगु घणी दुख नी वात से, जे भगवान ना माणहु ने पाप मे पाड़वा नो जपाप बणे। पाप मे पड़वा नी पारख ते आया करहे, पण तीहया माणेह जुगु बी घणी दुख नी वात से, जे बीजा जुगु पाप नो जपाप बणे।
तीहयो आह़फा नु ह़ुपड़ु तीना हात मे ली लेदलो से, अने तीहयो आह़फा ना खळा मे गम नीकाळीन चोखाळहे अने गम ने मोहटी मे भरहे, पण गम ना चारा ने आक्ठी मे नाख देहे जे कदी नी ओलाये।”