29 मालीक केदो, “नी ईसम ना करो नीता कंय माय्न जंगली बीज ना झाटवा ह़ाते, गम बी नी उखड़ी जाय।
पण जत्यार माणहु ह़ुव्वा बाज रेला, ता तीनो वेरी आयो, अने गम मे जंगली बीज ने वेरीन जत र्यो।
मालीक तीमने केदो, “आहयु काना वेरी नु काम से।” ता पावर्या तीने पुछ्या, “तारी मरजी हय ता आमु जाय्न जंगली बीज ने उखड़ दीया?”
वाडणी आवते लग भेळात वदवा देवो। वाडवा नी टेम पोर वाडवा वाळा ने केही, ‘पेले जंगली बीज ना झाटवा भेळा करो अने धपाड़वा करीन हीमना पुळा बांदो। अने अळतेण गम ना दाणा ने मारी मोहटी मे भेळा करो।’”