27 एतरे पावर्या मालीक ना घोर आवीन मालीक ने केदा, “मालीक तु तारा खेतर मे वारलु बीज नी वेर्यो ह़ु? ता तीनी मे जंगली बीज कीकम उग आया?”
पण जत्यार माणहु ह़ुव्वा बाज रेला, ता तीनो वेरी आयो, अने गम मे जंगली बीज ने वेरीन जत र्यो।
जत्यार ह़ुका फुट्या अने उंब्या नीकळ्या ता जंगली बीज देखाव पड़्या।”
मालीक तीमने केदो, “आहयु काना वेरी नु काम से।” ता पावर्या तीने पुछ्या, “तारी मरजी हय ता आमु जाय्न जंगली बीज ने उखड़ दीया?”
ह़रग नु राज तीहया घोर ना मालीक ह़रकु से, जे आह़फा नी अंगुर नी वाड़ी मे दाड़क्या लगाड़वा करीन ह़वारे नीकळ्यो।