23 आखा माणहु वहराय्न ईसु ना बारा मे केवा बाज ज्या, “आहयो दावुद नी अवल्यात हयवा जोवे ह़ु?”
जत्यार ईसु तां गेथो अगो ज्यो, ता बे आंदळा ईसु पसळ आसम आड़ता जाय्न चाल पड़्या, “ए दावुद नी अवल्यात, अमारी पोर दया कर।”
ईसु नी अगळ-अगळ जता जीन अने पसळ-पसळ आवता जीन माणहु ईसम की र्या हता, “दावुद नी अवल्यात ने होसन्ना! बरकत वाळो से तीहयो, जे भगवान मालीक ना नाम सी आवे। आखा मे उचा ह़रग मे रेवा वाळा नी होसन्ना!”
अने जत्यार भुत ने नीकाळ देदलो, ता गुंगो बोलवा बाज ज्यो। अने माणहु नी गड़दी वहराय्न केवा बाज जी, “ईस्रायल देस मे एवु कदी नी देख्या।”
तीहया परगणा नी कनानी जाती नी एक बयर आयी अने आड़ी-आड़ीन केवा बाज जी, “ए मालीक! दावुद नी अवल्यात! मारी पोर गीण कर। मारी सोरी ने भुत घण-जबर वेला पाड़ र्यो।”
जत्यार ईसु आहयी वात की देदो, ता माणहु तीनी ह़ीकापण ह़मळीन वहराय ज्या।