15 मे तमने ह़ाचलीन केम, “नीयाव ना दाड़े सदोम अने अमोरा देस ना माणहु गेथी बी तीहया देस ना माणहु ने जादा डंड जड़हे।”
एतरे मे तमने केम, “नीयाव ना दाड़े माणहु ने आह़फाम नी एक-एक रीकामी वात नो लेखो आपु पड़हे।
मे तमने ह़ाचलीन केम, के जत्यार लग ह़रग अने धरती खत्तम नी हय जाय, मुसा नी लीखली सास्तर ना बोल नी एकीक वात अने एकीक अक्सर पुरो हया वगर नी टळे।
तीहया नीयाव ना दाड़े घणा ढेरका माणहु मने केहे, मालीक! आमु तारु नाम लीन भगवान वगे गेथी वात नी केदा ह़ु? तारु नाम लीन भुत ने नी नीकाळ्या ह़ु? अने तारु नाम लीन सक्ती ना काम नी कर्या ह़ु?