29 “एय मालीक, एवी तु, तारा पावराह तारा वायदान गेत, तु माहु सान्ती माय मोरने दे।
29 हे स्वामी, ऐवी ताहवोर तू आपणो दासाला आपणो वाचणेन नुसार शान्ति से सोडीन आपथु,
एने चोखालो जीव ताह कियेल ईतो, काय जाह वोर तु मालीक ने मसी देख नाय लिहे, ताह वोर मोतीह नाय दिखहे।
तेवी शिमीयोन ता सोराह खोलाम दिऱ्यो, एने बोगवानान उपकार मान्यो:
दुयान विची माय माहु निवाड़नेन तेकलीत ईथे मी जीवायीह ठोकरावीन मसी फाय जाणे आसा केरथु काहाकाय ज्यी वात मार केरता जुलूम हाजी हे।
पुशो मी हेरगाम रेन ज्यो आवाज होमल्यो, “ज्यो लिख: बोरकेतवाला ता हेते, जा मालीक पोर बुरहो केरनेन पासाण मोरती!” चोखालो जीव किथे, “होव, काहाकाय तान मेहनेत से ताह आराम जुड़ी, एने तान काम ने ईसाब ता हेऱ्यो मेलाय जाय।”
ता मोठेस आयड़ीन केया, “एय ताकेतवाला मालीक, चोखालो एने खीरलो बोगवान हे! तु काह वोर नियाव नाय किरहे, एने केदीह वोर देरती पोर रेणारा माणहा फाय रेन आमरा खुन ने बुदलो नियाव लिहे?”