30 ‘ज्य माणुह बाणावणे ते बाजनोह पुण बाणाव नाह सीक्यो!’
30 अरे आवो व्यक्तीने बांधणेन सुरुवात तर किरील, पुण हा पुरो केरूह शकील नाहं.
ओवतो पाणी पोड़नो, खुदोर आवो, एने वारो बी आवो, एने तान गेरा हेऱ्यो ठोकानो; तिहेस तो गेर पोड़ गीयो।
एने इहकेरीन नाय एय काय जेवी तो पायो बांद लेय पुण तियार नाय केर सेकी, ते आखा देखणारे ज्य केयीन तान मोजाक उड़ावीन आहणे बाज गीया,
एने काल्लो ओहलो राजा हे जो दिहरा राजा हिऱ्यो लेड़ाणेन जाथे, एने पेल बोहीन विचार नाय केरी काय जो विह एजार लेन मार पोर चेड़ाव केरीन आवीह, काय मी दोह एजार लेन तान सामनो केर सेकथु, काय नाह।
पुण मारो देरमी जाण बोरहा केरीन जीवतालो रेय; एने केदी तो पासाण एय जाय, ते मारो मोन ता पोर खुस नाय एय।”
आमरी जुलूम होवटी आसा हे, काय तुमू माय रेन एकेक जाण जिवाय वोर इहीचकेरीन केठीण मेहनेत किरते रिवो, काय जान तुमू आसा किरते रेतेह।
जो काम आमु किरेल हेते ताह तुमू फालतुक जाणे मा दिवो, पुण तान पुरो फोल जुड़ने जुवे केरीन जोगवीन रिवो।