13 पुण थोड़ाक माणहे चिहटा केरीन केया, “ज्या माणहे पिन साकवाला एय रेनाह!”
13 पुण दिहरान मोजाक उघाडीन कियेल, “ते तर नाहं मंदिरा नशेनी चूर एय गीयो.”
जो तुमू सोमेजतेह, ज्या माणहे नेशा माय ना सोता; काहाकाय एवी ते वेगाच ने नोव वाज रेनाह।
केदी मोंडली एक जागे एकठी एय, एने आखान आखा एंजाणल्ली बाषा बोली, एने बाहेरवाला एने अविश्वासी माणहा माय आव लागी, ते काय ता तुमूह गांडा नाय केती?
दाराह रेन सेटा रिवो, काहाकाय पिणे से जिन्दगी बारबाद एय जाथे; पुण चोखाला जीवा माय बोरपुर ईती जावो।